Vol. 40 No. 3 (2016): प्राथमिक शिक्षक
Articles

बच्चों का जीवन और जीवन का स्पंदन

उषा शर्मा
प्रोफेसर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली

Published 2025-06-20

Keywords

  • शिक्षा के संदर्भ,
  • जीवन शिक्षा

How to Cite

शर्मा उ. (2025). बच्चों का जीवन और जीवन का स्पंदन. प्राथमिक शिक्षक, 40(3), p.5-11. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4393

Abstract

हर बच्चा अपने आप में पूर्ण जीवन है। वह जीवन का आधार भी है — परिवार के जीवन का, समाज के जीवन का और राष्ट्र के जीवन का भी! जिसका स्वयं का जीवन इतने लोगों के जीवन का आधार है, उसके जीवन की ज़िम्मेदारी उन सभी की बनती है।

जीवन होना और जीवन में स्पंदन होना – ये दो अलग बातें हैं, लेकिन एक-दूसरे से बेहद गहराई से जुड़ी हुई हैं। इनका सुसंगत रूप से जुड़ा होना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। अन्यथा जीवन को ‘जड़ होने’ और ‘जड़ बन जाने’ में समय नहीं लगता।

जब भी हम शिक्षा की बात करते हैं, तो हमारे ज़ेहन में झट से स्कूल और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की तस्वीर घूम जाती है। यह हमारी संकीर्णतावादी सोच का परिणाम है, क्योंकि हमने कभी शिक्षा को स्कूल की चारदीवारी से बाहर जाकर देखने या स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों को शिक्षा के संदर्भ में समझने की कोशिश ही नहीं की।