Abstract
बाल साहित्य एक ऐसी पूंजी है जो बच्चों के संसार को अनेक तरह से समृद्ध करती हैं। बच्चे स्वयं भी कविता, कहानी बनाते हुए अपनी रचनात्मकता को संतुष्ट करते हैं। इस प्रकार बाल - काव्य की रचना बचपन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसके जरिए बच्चे अपने परिवेश की पहचान करते हैं, उस पर अपनी प्रतिक्रिया करते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं। बाल काव्य का सहज, सरल भाव, संगीतात्मकता, छंदमयता, खेल भाव और आनंददायक मजेदार ध्वनियों की कल्पनाशील उड़ान हमें बरबस ही अपनी और आकर्षित करती है। चित्रात्मकता, रोचक तथ और बच्चों की दुनिया से जुड़ा बाल साहित्य बच्चों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। बाल साहित्य अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न अवधारणाओं, मूल्य और भाषा - विकास को भी पोषित करता है।