Published 2025-03-03
Keywords
- शैक्षिक विचारधारा,
- आत्मनिर्भरता
How to Cite
Abstract
स्वामी दयानन्द सरस्वती भारतीय समाज के एक महान सुधारक और धार्मिक गुरु थे, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी शैक्षिक विचारधारा ने भारतीय समाज में चेतना और परिवर्तन का संचार किया। स्वामी दयानन्द ने शिक्षा को आत्म-निर्भरता, नैतिकता, और सत्य की खोज का एक सशक्त साधन माना। उनका उद्देश्य भारतीय समाज को पश्चिमी औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करके, भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर की ओर लौटाना था।
स्वामी दयानन्द की शैक्षिक विचारधारा का प्रमुख तत्व था "सत्य, ज्ञान और आत्मनिर्भरता"। उन्होंने बच्चों को केवल बौद्धिक ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन की नैतिकता और सत्य के प्रति जागरूकता भी सिखाने पर बल दिया। वे संस्कृत भाषा को शिक्षा का आधार मानते थे, क्योंकि उनके अनुसार यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान की जड़ है। इसके अलावा, स्वामी दयानन्द ने व्यावहारिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया, जिससे व्यक्ति समाज में आत्मनिर्भर बने और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार ला सके।
स्वामी दयानन्द का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है, ताकि वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे और एक अच्छे नागरिक के रूप में कार्य करे। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की भी रक्षा की और उनके लिए शिक्षा का प्रावधान किया, क्योंकि उनका मानना था कि समाज के सुधार में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।