Published 2025-01-06
Keywords
- व्यावहारिक शिक्षा,
- मानसिक सशक्तिकरण
How to Cite
Abstract
स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक चिंतन भारतीय शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने और उसे जीवन के वास्तविक उद्देश्य से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आत्मा का उद्धार और जीवन की समग्र उन्नति है, न कि सिर्फ बौद्धिक क्षमता या पेशेवर कौशल को बढ़ाना। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को एक प्रक्रिया के रूप में देखा, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास के लिए आवश्यक है।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक चिंतन में सबसे महत्वपूर्ण पहलू था "आत्मनिर्भरता" और "आत्मविश्वास"। उन्होंने शिक्षा को जीवन के लिए उपकरण के रूप में देखा, जो व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और उसे समाज के कल्याण के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है। उनके अनुसार, शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो भारतीय संस्कृति, जीवन के उद्देश्य और मानवता की सेवा को प्रोत्साहित करे।