Vol. 41 No. 3 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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बाल नाट्य साहित्य लेखन और महत्व

Published 2025-06-26

Keywords

  • बाल नाटकों,
  • स्कूली शिक्षा,
  • बाल नाटकों की विशेषता

How to Cite

अली म. (2025). बाल नाट्य साहित्य लेखन और महत्व. प्राथमिक शिक्षक, 41(3), p.55–62. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4444

Abstract

शिक्षाविदों ने बाल नाटकों को शिक्षा प्रदान करने का एक माध्यम माना है। स्कूली शिक्षा में बाल नाटकों का समावेश होना चाहिए। हर समय पढ़ाई का बोझ उनके बचपन को, उनके व्यक्तित्व के रचनात्मक पक्ष को अधिक विकसित होने का मौका नहीं देता। इसलिए बाल मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए नाटक के माध्यम से पाठ्यक्रम पढ़ाना अच्छा तरीका है। केवल रटने वाली शिक्षा के बजाय स्कूली अध्यापन के समय कक्षा में कुछ विषय नाट्यात्मक रूप से पढ़ाए जाने चाहिए। प्रारंभिक कक्षाओं में तो बालकों के मानसिक, शारीरिक विकास के लिए नाट्य अभिनय प्रभावशाली साधन हो सकता है। प्रस्तुत लेख में बाल नाटकों की विशेषता बताई गई है और साथ ही नाटक लेखन संबंधित तत्वों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।