Abstract
समाज में महिलाओं की स्थिति का कई शोध अध्ययनों एवं मीडिया आदि के माध्यम से समय-समय पर अंदाजा लगता रहता है परंतु पहली बार महिलाओं की स्थिति पर राष्ट्रीय स्तर पर गठित समिति का सही मायनों में एक असर दिखाई दिया जब पाठ्यचर्या में महिला अध्ययन (women studies) को भी एक विशेष दर्जा दिया गया। उसके पूर्व अकादमिक संस्थानों में भी लोग महिलाओं के विकास या विकास में उनकी भागीदारी के प्रति इतने जागरूक नहीं थे क्योंकि शायद ऐसा माना जाता था कि महिलाओं की समस्याओं, उनके समाधान या विकास में उनकी भूमिका की ओर कोई विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।