Abstract
जेंडर का मुद्दा मानवता का मुद्दा है। बच्चों में जेंडर संवेदनशीलता विकसित करने में विद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब विद्यालयों की बात होती है तो कक्षा और सीखने सिखाने की बात सबसे पहले होती है। पाठ्य पुस्तकों की मूल्यों के विकास में अहम भूमिका है। सीखने सिखाने का साधन होने के कारण पाठ्यपुस्तकें सभी बच्चों के पास सहज रूप से उपलब्ध होती है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली द्वारा विकसित प्राथमिक स्तर की पुस्तकों के विकास में इस बात का ध्यान रखा गया है कि इनसे बच्चों में बचपन से ही जेंडर के मुद्दे को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। यहां पर प्राथमिक स्तर की हिंदी तथा पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकों के संबंध में दिया जा रहा है -