Abstract
यह लेख बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के तथ्यों में संबंध में है। दिए गए सरकारी तथा गैर सरकारी आंकड़े समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं। विद्यालय, घर की, जिम्मेदारी कहकर इसे टाला नहीं जा सकता वरन् दोनों की भागीदारी से बच्चों को सशक्त किया जा सकता है। इस विषय पर शिक्षक गण एवं अभिभावकों को संवेदनशीलता से सोचना होगा और बच्चों की जीवन में गुणवत्ता, उनकी स्वतंत्रता तथा अस्मिता से खिलवाड़ को रोकना होगा। लेखपाल शोषण एक में तक एक वास्तविकता यौन शोषण को पहचानने के साथ विद्यालय किस प्रकार सशक्तिकरण कार्यक्रम अपना सकता है, इस पर भी सुझाव देता है।