Vol. 36 No. 03 (2016): भारतीय आधुनिक शिक्षा
EDITORIAL NOTE

शोर बनाम प्रबंद

Published 2025-01-03

Keywords

  • मानसिक ध्यान,
  • संसाधन प्रबंधन

How to Cite

शर्मा न. (2025). शोर बनाम प्रबंद . भारतीय आधुनिक शिक्षा, 36(03), p. 80-83. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/3016

Abstract

यह लेख "शोर बनाम प्रबंध" पर चर्चा करता है, जो समाज और कार्यस्थल पर होने वाली गतिविधियों, विचारों और निर्णयों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। शोर और प्रबंध, दोनों ही शब्दों का संबंध किसी संगठन, समुदाय, या समाज के आंतरिक संतुलन और बाहरी प्रभाव से है, लेकिन इन दोनों की प्रकृति में बुनियादी अंतर है।

शोर एक अव्यवस्थित और अव्यवस्थित आवाज़ का प्रतीक है, जो मानसिक ध्यान और कार्य की गुणवत्ता में विघ्न डालता है। यह व्यक्ति या समूह की सोच को प्रभावित करता है, जिससे फोकस और निर्णय लेने की क्षमता कम हो सकती है। शोर का अभिप्राय केवल शारीरिक ध्वनि से नहीं है, बल्कि यह अनावश्यक चर्चाओं, अज्ञात तनावों, और अन्य विकर्षणों से भी है जो कार्य की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।