Published 2024-12-23
Keywords
- उत्पीड़न,
- मौखिक उत्पीड़न
How to Cite
शारदा कुमारी. (2024). शब्दों में छिपा उत्पीड़न. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 35(03), p. 67-72. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/2063
Abstract
"शब्दों में छिपा उत्पीड़न" यह दर्शाता है कि समाज में प्रचलित शब्द न केवल संवाद का साधन होते हैं, बल्कि ये शक्ति, असमानता, और उत्पीड़न को भी व्यक्त करते हैं। बहुत बार, शब्दों का प्रयोग मानसिक उत्पीड़न का रूप ले लेता है, जिससे समाज में भेदभाव और असमानता बढ़ती है। यह आवश्यक है कि हम अपने शब्दों के चयन में सावधानी बरतें और समाज में सकारात्मक और सहायक भाषा को बढ़ावा दें। इसके लिए शिक्षा, जागरूकता, और कानूनी कदमों की जरूरत है, ताकि शब्दों के माध्यम से उत्पीड़न को समाप्त किया जा सके।