Vol. 3 No. 2 (2022)
ARTICLES

विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया एवं समावेशन

सुधीर कुमार तिवारी
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र

Published 2025-03-12

How to Cite

तिवारी स. क. (2025). विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया एवं समावेशन. Educational Trend (A Journal of RIE, Ajmer - NCERT), 3(2), 34-39. http://14.139.250.109:8090/index.php/ET/article/view/3821

Abstract

विद्यालय में विद्यार्थियों को उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं के साथ स्वीकार करना समावेशी शिक्षा की उपलब्धि है और साथ-ही-साथ चुनौती भी क्योंकि विकलांगता शारीरिक रूप से कम सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से अधिक प्रभावित करती है। उचित प्रशिक्षण एवं कुशल निरीक्षण द्वारा किसी भी व्यक्ति की योग्यता में (वह क्या कर सकता है) ऊर्ध्वमुखी विकास किया जा सकता है और समाज को उसकी योग्यताओं से लाभांवित किया जा सकता है। रूजवेल्ट, हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग, अल्बर्ट आइंस्टीन, थॉमस अल्वा एडिसन, लूई ब्रेल... जैसे वास्तविक किरदार हमारे सम्मुख उदाहरण के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं जो दिव्यांग होते हुए भी समाजिक उत्थान के लिए सक्रिय रहे। स्टीफन हॉकिंग और हेलेन केलर, क्रमशः एक व्हील चेयर पर आश्रित महान वैज्ञानिक तो दूसरी मूक-बधिर लेकिन विश्व की महान लेखिकाओं में से एक है। अल्बर्ट आइंस्टीन में सीखने की क्षमता कम थी फिर भी उन्होंने सापेक्षता का सिद्धान्त विकसित किया। थॉमस अल्वा एडिसन ऊँचा सुनते थे लेकिन बिजली का अविष्कार करके संसार को प्रकाशवान कर दिया। लूई ब्रेल देख नहीं सकते थे लेकिन उनकी खोज ने दुनियां के दृष्टिबाधित दिव्यांगों को पढ़ने और सीखने की क्षमता दी। इन लोगों ने अपनी प्रतिभा को सिद्ध किया। जरूरत है दिव्यांगजनों को एक सही मार्गदर्शन की जो उन्हें कक्षा-कक्ष में प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा ही प्राप्त हो सकता है। प्रस्तुत शोध लेख दिव्यांग विद्यार्थियों की अधिगम प्रक्रिया एवं समावेशन में भाषा शिक्षण एवंप्रशिक्षण की भूमिका पर आधारित है।