Vol. 37 No. 1 (2013): प्राथमिक शिक्षक
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बालमन के चितेरे: : मुंशी प्रेमचंद

स्नेहलता   प्रसाद
प्रोफेसर, भाषा शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद

Published 2025-03-26

Keywords

  • मुंशी प्रेमचंद,
  • कहानियाँ,
  • बाल पाठकों

How to Cite

प्रसादस. . (2025). बालमन के चितेरे: : मुंशी प्रेमचंद. प्राथमिक शिक्षक, 37(1),  p.53-56. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/3288

Abstract

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के पात्र अपनी स्वाभाविकता तथा सरलता के कारण जाने जाते हैं। प्रेमचंद की कहानियों में बालमन का बड़ा ही स्वाभाविक चित्रण देखने को मिलता है। उन्होंने बालमन की कोमल भावनाओं का बखूबी चित्रण किया है। प्रेमचंद की लिखी कहानियों को पढ़ते समय बाल पाठकों को यही लगता है कि इनमें तो उनके मन की बात झलक रही है, वे भी तो ऐसा ही सोचते हैं। प्रेमचंद ने बाल हृदय की गहराइयों को स्पर्श किया है। प्रेमचंद की भिन्न कहानियों के बाल पत्र चाहे वह ईदगाह का ' हामिद ' हो या ' बूढ़ी नानी' की लाडली या फिर ' कजाकी ' का नन्हा बच्चा, सभी की संवेदनशीलता को दर्शाता है यह लेख- बालमन के चितेरे मुंशी प्रेमचंद।