सार
मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के पात्र अपनी स्वाभाविकता तथा सरलता के कारण जाने जाते हैं। प्रेमचंद की कहानियों में बालमन का बड़ा ही स्वाभाविक चित्रण देखने को मिलता है। उन्होंने बालमन की कोमल भावनाओं का बखूबी चित्रण किया है। प्रेमचंद की लिखी कहानियों को पढ़ते समय बाल पाठकों को यही लगता है कि इनमें तो उनके मन की बात झलक रही है, वे भी तो ऐसा ही सोचते हैं। प्रेमचंद ने बाल हृदय की गहराइयों को स्पर्श किया है। प्रेमचंद की भिन्न कहानियों के बाल पत्र चाहे वह ईदगाह का ' हामिद ' हो या ' बूढ़ी नानी' की लाडली या फिर ' कजाकी ' का नन्हा बच्चा, सभी की संवेदनशीलता को दर्शाता है यह लेख- बालमन के चितेरे मुंशी प्रेमचंद।