Published 2025-06-27
Keywords
- औपचारिक शिक्षा व्यवस्था,
- शिक्षण सामग्री,
- अध्यापन कर्तव्य
How to Cite
Abstract
विद्यालय औपचारिक शिक्षा व्यवस्था में अध्यापक का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। बड़े से बड़े आकर्षक भवन, आकर्षक सरस पाठ्यपुस्तकें, तकनीक के साधन, शिक्षण सामग्री — ये सभी कुछ एक तरफ हैं और शिक्षक की भूमिका एक तरफ। कहने का तात्पर्य यह है कि शिक्षा के बिना औपचारिक विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती।
ऐसे में शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वह विद्यार्थियों को अपना ‘समस्त’ देने का प्रयास करे। बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जो यांत्रिक तरीके से पढ़ाकर अपने अध्यापन कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, परंतु बहुत से अध्यापक अपने व्यक्तित्व, अपने व्यवहार, शिक्षण-अधिगम के तरीकों से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व पर अमिट प्रभाव छोड़ते हैं। वे उनके जीवन की राहों को सही आकार देने के अवसर जुटाते हैं।
ऐसे ही अनुभवों का साक्षात्कार कराता हुआ आलेख ‘विद्यार्थियों के जीवन की नई राह गढ़ते’ प्रस्तुत है।