Vol. 41 No. 4 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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अनजान सफर की मंज़िल

आकांक्षा भटनागर
विद्यार्थी, पी.जी. डिप्लोमा (शिक्षण), इग्नू, नई दिल्ली

Published 2025-06-26

How to Cite

भटनागर आ. (2025). अनजान सफर की मंज़िल. प्राथमिक शिक्षक, 41(4), p.93–96. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4433

Abstract

मानव जीवन में बचपन एक ऐसी अवस्था है, जिसमें बच्चा स्वतंत्र रहकर, बिना किसी की परवाह किए हँसता हुआ अपना समय व्यतीत करता है। लेकिन आज भी कहीं न कहीं बच्चों की स्वतंत्रता, उनका बचपन धीरे-धीरे छीना जा रहा है। छोटे-छोटे बच्चों से दुकानों, ढाबों, घरों, कारखानों में अमानवीय तरीके से काम करवाया जाता है और उन्हें बहुत कम मजदूरी दी जाती है। उन्हें घरेलू नौकर बनाकर उनका भरपूर शोषण किया जाता है। इस प्रकार उनसे उनका बचपन छीना जा रहा है। उन्हें पढ़ने और खेलने के अवसरों से वंचित किया जा रहा है। यदि हम बच्चों को सफल देखना चाहते हैं तो यह केवल उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है, शिक्षा जितनी ज़रूरी लड़कों के लिए है, उतनी ही ज़रूरी लड़कियों के लिए भी है। हमें बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी शिक्षा का महत्व बताना होगा।

                शिक्षा के बिना जीवन का कोई भी महत्व नहीं है, शिक्षा सामाजिक और नैतिक विकास के लिए बेहद आवश्यक है।