Vol. 41 No. 4 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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सृजन के मधुर गीत गाता एक विद्यालय

Published 2025-06-26

Keywords

  • शिक्षक की जीवंतता,
  • लक्ष्य प्राप्ति,
  • समाज की बेहतरी के लिए विद्यालय की सुरक्षा

How to Cite

‘मलय’ प. द. (2025). सृजन के मधुर गीत गाता एक विद्यालय. प्राथमिक शिक्षक, 41(4), p.37-42. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4425

Abstract

प्रस्तुत आलेख एक मृतप्राय सरकारी विद्यालय के पुनर्जीवन की कथा है, जिसमें विद्यालय की सफलता और उपलब्धियों के मनमोहक प्रेरक चित्र हैं, खुशी से झूमते बच्चों के कलरव का मधुर स्वर है, प्रबंधन समिति के सदस्यों, अभिभावकों एवं समस्त ग्रामवासियों का विद्यालय के प्रति अपनेपन के भाव का प्रकटन है। यह एक शिक्षक की जीवंतता और लक्ष्य प्राप्ति के लिए किए गए अथक प्रयास का विनम्र फल है, जिसमें उसकी खुली आँखों से देखे गए सपनों के स्वर्णिम सितारे टंके हुए हैं। साथ ही यह विद्यालय और समुदाय के संबंधों और परस्पर अवलंबन की नवीन व्याख्या है, जिससे यह संदेश पोषित हुआ है कि प्रत्येक विद्यालय समाज का अभिन्न अंग है और समाज की बेहतरी के लिए विद्यालय की सुरक्षा जरूरी होती है। वास्तव में यह लेख सरकारी स्कूलों के प्रति जन सामान्य के मन मस्तिष्क में उभरे इस पूर्वाग्रह और धारणा का तोड़ भी है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती और यहाँ पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता है। यह लेख विद्यालय के प्रति समुदाय में न केवल खोए विश्वास की पुनर्बहाली करता है, बल्कि शिक्षक-अभिभावक संबंधों को संस्कृति, वैभव एवं गरिमा प्रदान करता है।