Abstract
राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 1986 ने इस पहलू पर बल दिया था कि विद्यालय बच्चों का स्वागत करें। शिक्षा का अधिकार अधिनियम - 2009 बच्चों के प्रति भय, चिंता व सदमे से मुक्त कक्षाओं एवं विद्यालयों की हिदायत देता है। लेकिन आए दिन कक्षाओं में बच्चों के पिटने, उन पर अत्याचार होने की घटनाएं देखने - सुनने को मिलती ही रहती है। कक्षा में बात करना, देर से आना, घर का काम ना कर पाना इतना बड़ा गुनाह नहीं है कि उसके लिए बच्चों की पिटाई की जाए। आवश्यकता इस बात की है कि उसे प्यार से विश्वास में लेकर समझाया जाए। बच्चों को प्यार से समझाने पर आपके और बच्चों के बीच विश्वास और दोस्ती का नया रिश्ता शुरू होगा। बच्चे जिम्मेदार बनकर दिखाएंगे आपको शिक्षा के क्षेत्र में, खेलों में वह अन्य प्रतिभाओं में तथा सक्षम होंगे बढ़ती हुई दक्षता के साथ।