Abstract
गांधी जी को लेकर कितने ही किस्से कहानी बन चुकी हैं। उन्हें जिन्होंने देखा नहीं है, खासतौर से आजकल के बच्चों ने, वे जरुर सोचते होंगे कि वह कोई बहुत ही अनोखे व्यक्ति या अलौकिक पुरुष थे जिन्होंने बड़े-बड़े काम किए। इसलिए उन लोगों के सामने उनके जीवन की मामूली झांकियां रखना जरूरी है। इस किताब ' बहुरूप गांधी' में यही किया गया है। इस पुस्तक की प्रस्तावना में पंडित जवाहरलाल नेहरू लिखते हैं- यह पुस्तक बच्चों के लिए है। लेकिन मुझे यकीन है कि बहुत से बड़े लोग भी इस खुशी से पढ़ेंगे और लाभ उठाएंगे। मुझे खुशी है कि ऐसी पुस्तक लिखी गई जिसमें हमें बताया गया है कि गांधी राजनीति और सार्वजनिक जीवन के अलावा और किस-किस तरह के काम किया करते थे। इससे शायद उनको हम अच्छी तरह समझ सकेंगे। बहुरूप गांधी पुस्तक परिषद द्वारा प्रकाशित है। इस अनु बंद्योपाध्याय ने लिखा है। इसमें गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक है। यहां पर इसी किताब के कुछ पन्ने दिए जा रहे हैं-