खंड 39 No. 02 (2018): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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कला और शिक्षा

प्रकाशित 2025-03-17

सार

इस लेख में कला को ‘जानने’ और ‘होने’ की एक विधा मानते हए इसकी स ु ्वरूपगत विशेषताओ पर प्रकाश डाला ं गया है। कला और ससं ्कृति के सबं धों की पड़ताल करते ह ं ए स् ु थापित किया गया है कि कला एक ओर ससं ्कृति की
विरासत का प्रतिनिधित्व करती है, वहीं उस ससं ्कृति के रूपातरण का माध ं ्यम भी बनती है। इसी सदं र में कला और ्भ
लोक के सबं ध की व ं ्याख्या की गई है। तदपरा
ु त ं शिक्षा की वर्तमान वर्त प्रवृत् तियों के सापेक्ष कला के निहितार्थऔर महत्व
का प्रतिपादन किया गया है। इस लेख की सैद्धांति क पष्‍ठभृ मिू रवीन्द्रनाथ टैगोर, जॉन डीवी और मैक्सिन ग्रीन के
विचारों के आलोक में निर्मित है, जो सझाती है ु कि ‘कला’ अनभुवों में नए अर्थ को खोजन र्थ े का माध्यम है।