Published 2010-01-31
Keywords
- कृष्णमूर्ति की शिक्षा,
- भौतिक दृष्टिकोण
How to Cite
Abstract
कृष्णमूर्ति की शिक्षा ने पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों से इतर एक अनूठी दृष्टि प्रस्तुत की। उनका यह मानना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के भीतर आत्मबोध और आत्म-निर्भरता को जागृत करना है, न कि केवल बाहरी ज्ञान और सूचना का संचयन। कृष्णमूर्ति के अनुसार, शिक्षा एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें जीवन की संपूर्णता को समझने की कोशिश की जाती है। यह प्रक्रिया न केवल विचारों की सफाई करती है, बल्कि व्यक्ति को अपने विचारों, प्रतिक्रियाओं और भावनाओं के प्रति भी जागरूक बनाती है।
कृष्णमूर्ति ने शिक्षा के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें मानवीय मानसिकता की गहराई से समझने पर जोर दिया गया। उन्होंने यह बताया कि शिक्षा को केवल व्यावहारिक या भौतिक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिकता, सामाजिक व्यवहार और अस्तित्व से भी जुड़ी हुई होनी चाहिए। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी या व्यवसाय प्राप्त करना नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में सामंजस्य और संतुलन बनाए रखना है।