Published 2025-03-25
Keywords
- भारत के भविष्य,
- अध्यापक नहीं आचार्य
How to Cite
Abstract
भारत में शिक्षा प्रणाली के महत्व को कभी नकारा नहीं जा सकता, और इस व्यवस्था के केंद्र में शिक्षक का स्थान हमेशा सर्वोपरि रहा है। हालांकि, समय के साथ शिक्षा का रूप और तरीका बदलते गए हैं, परंतु शिक्षक की भूमिका में उतनी ही महत्ता बनी रही है। पारंपरिक रूप से, हम उन्हें केवल "अध्यापक" के रूप में देखते आए हैं, लेकिन वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार उन्हें "आचार्य" के रूप में परिभाषित करना अधिक उपयुक्त होगा।यह सारांश इस विचार पर केंद्रित है कि भारत के भविष्य के निर्माण में शिक्षक का पारंपरिक दृष्टिकोण बदलकर एक नया और उन्नत दृष्टिकोण अपनाना होगा, जो न केवल ज्ञान देने वाला, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और समाज में उनकी भूमिका को समझाने वाला हो।