Published 2025-03-17
Keywords
- उषा नयर
How to Cite
Abstract
ह शोध नारीवादी परिप्रेक्ष्य के आधार पर लड़कों के लैंगिक समाजीकरण का विस्ततृ अध्ययन प्रस्ततु करता है
जिसमें द्वितीयक स्रोत के लेखों केविश्लेषण के आधार पर लड़कों का जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के लैंगिक
समाजीकरण का अध्ययन किया गया है। जेंडर के मद्ु कदे े आवश्यक सिद्धान्त व पारिभाषिक शब्दों को समझा
जा सके, इसके लिए सं
बं
धित सिद्धांत ों का सं
क्षिप्त आधार प्रस्ततु किया गया है। शोध में पितृसत्पितृ ता की व्यवस्था
के अतरं ्गत होने वालेप्रत्येक बालक की जन्म से लेकर किशोरावस्था तक होने वाले मखु्य लैंगिक समाजीकृत
अनभवों
ु जिसमें जन्म, लोरियाँ, शरुआु ती पारिवारिक लगाव, सामाजिक खलु ेपन के अनभव, जीवन क ु े लक्ष्य
निर्धारित करने वाले आयाम से सं
बं
धित अनभव, ु शिक्षा, यौन, सां
स्कृति क विकास, इद्ंरिय विकास, परुषत
ु ्व के
गुणों क गु ेविकास का वर्णन किया गया है। लैंगिक विकास को व्यापक रूप से समझने केलिए कई स्थानों पर लड़का
व लड़की को प्राप्त होने वाले अनभवों का भी
ु तुलनात
तु ्मक अध्ययन किया गया है। शोध में समकालीन नारीवादियों
व शिक्षाविद, जैस ् े — निवेदिता मनन, उषा नय े ्यर, कृष्ण कुमार, लीला दबुे आदि के लैंगिक समाजीकरण सं
बं
धित
लेखों को उद्धृत करते हु
ए उनका विश्लेषण किया गया है। सं
क्षेप में, यह शोध नारीवाद व लैंगिक समाजीकरण से
सं
बं
धित समकालीन राजनीति व बालकों के लैंगिक समाजीकरण का अध्ययन प्रस्ततु करता है।