Published 2025-03-17
Keywords
- परिवर्तन प्रकृति,
- अतर्रा ं ष्ट्रीय स्कूल
How to Cite
Abstract
परिवर्तन प्रकृति का नियम है, सामाजिक परिवर्तन इस परिवर्तन का हिस्सा है। आज, पर
ूे भारत में शहरीकरण
की प्रक्रिया बढ़ रही है। यह भी माना जाता है कि 2040 तक देश की आधी आबादी शहरीकरण के अतं र्गत आ
जाएगी। शिक्षा क्षेत्र भी सामाजिक परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है। नए शहरीकृत या ‘ रुर्बन’ क्षेत्रों में ‘अतर्रा ं ष्ट्रीय
स्कूल’ बड़े स्तर पर खल
ु रहे हैं। ये स्कूल दावा करते हैं कि वे ‘आधनिु क’ शिक्षा प्रदान करते हैं। माता-पिता भी
अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने में रुचि रखते हैं। लेकिन इस बात को अनदेखा किया जा रहा है कि बच्चों को
दो अलग-अलग दनिु या में रहना पड़ रहा है (यानी उनका स्वयं
का सामाजिक-सां
स्कृतिक जीवन और स्कूल का
जीवन)। यह अध्ययन ग्रामीण बच्चों की अस्मिता के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए किया गया है, जहाँ
बच्चा घर पर और स्कूल में, दो अलग-अलग जीवन जी रहा है। इस शोध में यह परखने का प्रयास किया गया
कि बच्चा आधनिु कता के मलू्यों को कै से समझता है। इसके परिणाम उत्तरदाताओ की प्रत ं िक्रिया पर आधारित हैं।
शोधक द्वारा विकसित साक्षात्कार अनसुचूी का उपयोग करके बच्चों के विचार एकत्र किए गए थे। अध्ययन के
नतीजे बताते हैं कि स्कूल और बच्चे के सामाजिक अनभवु ों के बीच एक विरोधाभास है, जो आधनिु कता से जडु़े
मलू्यों और बच्चे के सामाजिक-सां
स्कृतिक सं
दर्भ के बीच सं
भावित तनाव के सं
दर्भ में बच्चे की अस्मिता के सं
कट
का कारण बनता है। यह भी पाया गया कि ‘अतर्रा ं ष्ट्रीय स्कूल’ इस तरह के विरोधाभास में प्रमख भ ु मिू का निभाते हैं।