Vol. 39 No. 01 (2018): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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गणवत् तापरू्णप्रारं भिक बाल्‍यावस्‍था शिक्षा में निरं तरता के लिए पर्व प्राथमिक शिक्षक की तैयारी

Published 2025-03-17

Keywords

  • नियमित सेवाकालीन,
  • प्री-स्कूल शि‍क्षक

How to Cite

सोन र. (2025). गणवत् तापरू्णप्रारं भिक बाल्‍यावस्‍था शिक्षा में निरं तरता के लिए पर्व प्राथमिक शिक्षक की तैयारी . भारतीय आधुनिक शिक्षा, 39(01), p. 7-15. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/3904

Abstract

इसमें कुछ भी छुपा नहीं है कि प्रारं
भि‍क बाल्यावस्था शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में काफ़ी परिवर्तन आया
है। इक्कीसवीं शताब्दी में 3–6 वर्ष आय वर ु ्ग के बच्चों को सफलता के लिए आवश्‍यक कौशलों से परिपरू्ण
करने के लिए क्या हमारे दशे के प्री-स्कूल शि‍क्षक अथक परिश्रम कर रहे हैं? नर्सरी शि‍क्षक प्रशि‍क्षण सं
स्थानों
(एन.टी.टी.आई.) में पर्व
ू-प्राथमिक शिक्षा शि‍क्षक और विद्यार्थी-शिक्षक प्रारं
भि‍क कक्षाओ के 3–6 व ं र्ष आयु
वर्ग के बच्चों के साथ व्यवहार करने के लिए क्या आवश्‍यक सही शि‍क्षण पद्धतियों से अवगत हैं? पर्व
ू-प्राथमिक
शि‍क्षक प्रशि‍क्षण सं
स्थाओ में ं गणु वत्तापरू जन बल ्ण तैयार करने और सश
ुि‍क्षि‍त प्रारं
भि‍क बाल्यावस्था शिक्षाविदों
को वहाँ बनाए रखने से सं
बं
धि‍त अनेक चनौ
ु तियाँ हैं। इन चनौ
ु तियों से निपटना तब तक सं
भव नहीं है, जब तक
सतत सेवाकालीन प्रशि‍क्षण और कार्यशालाओ का आ ं योजन न किया जाए, जिनका उद्श्दे‍य यह मार्गदर्शन करना
हो कि पर्व
ू-प्राथमिक शिक्षा पाठ्यचर्या को कै से लाग क
ूिया जाए। आँगनवाड़ि‍यों, प्ले स्कूलों, प्राथमिक स्कूलों
और निजी स्कूलों से जड़े ु प्रारं
भिक बाल्‍यावस्‍था शिक्षा में काम करने वाले हितधारकों की गणु वत्ता इस लेख का
प्रमख म ु द्ुदा है। इस लेख में लेखि‍का ने बताया है कि गणु वत्तापरू प्ण र्व
ू-प्राथमिक शिक्षा के लिए किए गए पेशेवर
विकास सं
बं
धी प्रयास किस प्रकार अपना प्रभाव डालते हैं और प्री-स्कूल तथा पर्व
ू-प्राथमिक शि‍क्षकों के कौशलों,
नज़रिये और बच्चों के प्रति उनके व्यवहार में सार्थक परिवर्तन लाते हैं। प्रारं
भि‍क बाल्यावस्था शिक्षा के विस्तारण
एवं
 सधुार में प्रारं
भि‍क बाल्यावस्था शिक्षा के जन बल की आधारभतू भमिू का है। अत: सभी पर्व
ू-प्राथमिक शिक्षा
प्रशि‍क्षण सं
स्थानों, नियमित सेवाकालीन प्रशि‍क्षण तथा वर्तमान एवं
 भविष्‍य के शि‍क्षकों के मददगारों, जो 3–6 वर्ष
की आय के बच्चों के सा
ु थ काम करते हैं, को एक नवीनतम गणु वत्तापरू पाठ ्ण ्यचर्या महै
ुया कराने की आवश्‍यकता
है। इस लेख में लेखिका ने पर्व
ू-प्राथमिक शिक्षा के लिए प्रारं
भि‍क बाल्यावस्था शिक्षा, प्री-स्कूल तथा र्इ.सी.र्इ
(अर्ली चाइल्‍डहु
ड एजके
ु शन) शब्दों का प्रयोग किया है।