Published 2025-03-17
Keywords
- इलाकों से आँकड़े,
- सां स्कृतिक एवं आर्थिक
How to Cite
Abstract
शिक्षा मानव जीवन का आधार है। अाज वैश्वीकरण के यग में जह ु ाँ सं
सार नज़दीक आता जा रहा है, वहीं मनष
ु्य के
सं
दर्भ में समस्याएँ भी विकराल रूप धारण कर रही हैं। शिक्षा जहाँ मानव का सामाजिक, सां
स्कृतिक एवं
आर्थिक
रूप से उत्थान करती है, वहीं किसी भी राष्ट्र के निर्माण में भी अहम भमिू का निभाती है। शिक्षा को सार्वभौमिक
करने के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागूकिया गया। लेकिन यह अभी भी एक
चितं ा का विषय बना हुआ है कि सरकार आज़ादी के 70 वर्षों के बाद भी शिक्षा की सार्वभौमिक दर को प्राप्त करने
में नाकाम रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि विद्यालयों में प्रारं
भिक स्तर पर विद्यार्थी की नामां
कन दर में वृद्धि हुई
है। लेकिन जैसे-जैसे कक्षा का स्तर बढ़ रहा है, उसी के साथ-साथ उनके द्वारा विद्यालय छोड़ने की वृद्धि दर भी बढ़
रही है। सरकारों द्वारा अथक प्रयासों से बच्चों को विद्यालय में जाने का अवसर तो मिल रहा है, लेकिन विद्यालयी
शिक्षा परी करन ू ा अभी भी एक चनौती है। यह कहीं-न-कहीं हम ु ारी नीतियों या सामाजिक व्यवस्था में त्रुटियाँ हैं
जो इन बच्चों को शिक्षा परी करने में ब ू ाधा बनती हैं। इस शोध पत्र में बच्चों को विद्यालय छोड़ने के लिए मजबर
ू
करने वाले कारणों पर प्रकाश डाला गया है। यह शोध सर्वेक्षण विधि पर आधारित है, जिसमें चडीगढ़ के स ं ्लम
इलाकों से आँकड़े एकत्रित किए गए हैं। अध्ययन में मखु्य रूप से तीन कारणों का पता चल पाया है। जिसमें प्रमख
ु
रूप से परिवार, समाज व विद्यालय सं
बं
धी कारण हैं, जो विद्यार्थियों को विद्यालय छोड़ने पर मजबर करते हैं। इसके ू
अतिरिक्त गरीबी, शादी, माता-पिता की अज्ञानता, घर का माहौल, रोज़गार, विस्थापित करना, पढ़ाने का अच्छा
तरीका नहीं होना व पाठ्यक्रम रोचक न होना इत्यादि कारण विद्यार्थियों को विद्यालय छोड़ने पर मजबर करते हैं।