Vol. 38 No. 03 (2018): भारतीय आधुनिक शिक्षा
EDITORIAL NOTE

शाला-पूर्व शिक्षा में खेल की भूमिका

Published 2025-03-05

Keywords

  • मानसिक विकास,
  • शाला-पूर्व शिक्षा

How to Cite

चौधरी क. च. (2025). शाला-पूर्व शिक्षा में खेल की भूमिका. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 38(03), p. 50-56. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/3744

Abstract

शाला-पूर्व शिक्षा में खेल का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक विकास में सहायक होता है। खेल बच्चों को सिखाने के एक अनूठे और प्रभावी तरीके के रूप में कार्य करता है। यह बच्चों के लिए सीखने का एक प्राकृतिक और आनंदमय माध्यम होता है, जिसमें वे विभिन्न कौशलों का विकास करते हैं। शाला-पूर्व शिक्षा में खेल न केवल शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि यह बच्चों की सोच, रचनात्मकता, और समस्या सुलझाने की क्षमता को भी बढ़ाता है। खेल बच्चों को समूह में काम करने, अनुशासन सीखने, और आपसी संवाद कौशल को सुधारने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, खेल बच्चों को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने में भी सहायक होते हैं।