Vol. 38 No. 02 (2017): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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बालक ज्ञान का स्वंय निर्मता

Published 2025-03-03

Keywords

  • रचनात्मकता,
  • आलोचनात्मक सोच

How to Cite

कुमारी द. (2025). बालक ज्ञान का स्वंय निर्मता . भारतीय आधुनिक शिक्षा, 38(02), p. 14-22. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/3431

Abstract

यह अध्ययन बालकों द्वारा ज्ञान के निर्माण की प्रक्रिया पर केंद्रित है, जिसमें यह माना जाता है कि बच्चे अपने ज्ञान को स्वेच्छा से और व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से विकसित करते हैं। ज्ञान निर्माण का यह सिद्धांत बच्चों की सक्रिय भागीदारी पर आधारित है, जहां वे बाहरी पर्यावरण से प्राप्त जानकारी को अपने अनुभव, सोच और समझ के माध्यम से आत्मसात करते हैं। इस अध्ययन में बालक के स्वयं ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए विकासात्मक, शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणों का विश्लेषण किया गया है।

अध्ययन में यह पाया गया कि बालक का ज्ञान केवल शिक्षक या पाठ्यक्रम से ग्रहण करने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह अपने अनुभवों, पर्यावरण, और सामाजिक इंटरएक्शन के माध्यम से इसे सक्रिय रूप से निर्माण करता है। यह प्रक्रिया बच्चों को न केवल शैक्षिक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाती है, बल्कि उनकी सोचने की क्षमता, समस्या हल करने की कौशल और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है। बच्चों का ज्ञान निर्माण उनके आसपास के वातावरण और उनकी व्यक्तिगत जिज्ञासा द्वारा प्रेरित होता है, जिससे उनका मानसिक और सामाजिक विकास अधिक प्रभावी होता है।