Published 2025-03-03
Keywords
- समग्र शिक्षा,
- सामाजिक जिम्मेदारी
How to Cite
Abstract
महात्मा गांधी की शिक्षा की अवधारणा एक समग्र दृष्टिकोण पर आधारित थी, जिसमें शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास को समान रूप से महत्व दिया गया। गांधी जी ने शिक्षा को केवल बौद्धिक ज्ञान प्राप्ति के माध्यम के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे जीवन की नैतिक, सामाजिक और शारीरिक जिम्मेदारियों से जोड़ा। उनकी "बेसिक शिक्षा" का उद्देश्य था कि बच्चे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आत्मनिर्भर, नैतिक और समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनें। गांधी जी ने हस्तशिल्प, शारीरिक श्रम, और स्वदेशी आंदोलन को शिक्षा का एक अभिन्न हिस्सा माना। उनके अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानवता, आत्मनिर्भरता, और चरित्र निर्माण होना चाहिए।
आज के संदर्भ में महात्मा गांधी की शिक्षा की अवधारणा अत्यधिक प्रासंगिक है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जहां तकनीकी ज्ञान और बौद्धिक विकास को प्राथमिकता दी जाती है, वहीं गांधी जी के दृष्टिकोण से यह देखा जाता है कि विद्यार्थियों के मानसिक और सामाजिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए। आज, जब वैश्वीकरण और आधुनिकता के प्रभाव में बहुत सी पारंपरिक मूल्य धुंधले पड़ते जा रहे हैं, गांधी जी की शिक्षा की अवधारणा हमें मूल्य आधारित शिक्षा, नैतिकता और समाज सेवा की महत्वपूर्ण दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस लेख में महात्मा गांधी की शिक्षा के सिद्धांतों का गहन विश्लेषण किया जाएगा और उनके योगदान को वर्तमान शिक्षा प्रणाली में लागू करने के संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी।