Vol. 37 No. 03 (2017): भारतीय आधुनिक शिक्षा
Articles

घर से विद्यालय तक स्रजन के आनंद में बाधक माता पिता तथा शिक्षक की अपने अन्न दायित्व और अपराध बोध से अनभिज्ञता

Published 2025-03-03

Keywords

  • सृजनात्मकता,
  • अपराधबोध

How to Cite

कुमार प., & श्रीवास्तव आ. (2025). घर से विद्यालय तक स्रजन के आनंद में बाधक माता पिता तथा शिक्षक की अपने अन्न दायित्व और अपराध बोध से अनभिज्ञता . भारतीय आधुनिक शिक्षा, 37(03), p. 5-13. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/3369

Abstract

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का संचय करना नहीं, बल्कि छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास को भी प्रोत्साहित करना है। इस अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य यह समझना है कि कैसे माता-पिता और शिक्षक अपने अन्न दायित्व और अपराध बोध से अनभिज्ञ रहते हुए, बच्चों के सृजनात्मकता और आनंद को अवरुद्ध कर सकते हैं। समाज में प्रचलित पारंपरिक अपेक्षाएँ, जैसे अच्छा अंक प्राप्त करना या निश्चित मानक के अनुसार प्रदर्शन करना, बच्चों को मानसिक दबाव में डाल सकती हैं। इस दबाव के कारण बच्चे स्वतंत्र रूप से सृजनात्मक विचारों और गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते। माता-पिता और शिक्षक, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को लेकर बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं, जबकि वे यह समझने में विफल रहते हैं कि इन दबावों के परिणामस्वरूप बच्चों के भीतर अपराधबोध और आत्मसंशय उत्पन्न हो सकता है। इस अध्ययन में यह भी देखा गया है कि कैसे बच्चों के व्यक्तिगत और मानसिक विकास के लिए एक सहायक, समझदारी से भरा वातावरण आवश्यक है, जो उनके सृजनात्मक क्षमता को प्रोत्साहित करता है।