Published 2025-03-03
How to Cite
Abstract
भारत में अनुसूचित जनजातियाँ (STs) सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों में आती हैं, जिनकी शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए समय-समय पर विभिन्न योजनाएँ और नीतियाँ बनाई गई हैं। यह अध्ययन अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान स्थिति और भावी आवश्यकताओं का विश्लेषण करता है। अनुसूचित जनजातियों में शिक्षा का स्तर अभी भी बहुत कम है, और इन समुदायों तक शिक्षा का पहुंच सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
वर्तमान स्थिति में, अनुसूचित जनजातियों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे "आर. टी. ई." (शिक्षा का अधिकार), छात्रवृत्तियाँ, छात्रावास सुविधाएँ, और विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम। हालांकि, इन योजनाओं के बावजूद, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के लिए आवश्यक अवसंरचना की कमी, शिक्षक की कमी, और शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी प्रमुख बाधाएँ बनी हुई हैं। विशेषकर, दूरदराज के क्षेत्रों में निवास करने वाली आदिवासी जनसंख्या को गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है।