Published 2025-01-06
Keywords
- धार्मिक ग्रंथ,
- संवाद
How to Cite
Abstract
भाषा और धर्म दोनों मानव सभ्यता के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, और इनका आपस में गहरा संबंध रहा है। यह अध्ययन इस संबंध को स्पष्ट करने का प्रयास करता है, कि किस प्रकार भाषा न केवल धार्मिक विचारों और सिद्धांतों के प्रसार में सहायक होती है, बल्कि धर्म के अभ्यास और अनुभव को भी संरचित करती है। धर्म के सिद्धांतों और आस्थाओं को समझाने, प्रचारित करने और जीवित रखने के लिए भाषा एक प्रमुख माध्यम बनती है।
धर्म में प्रयोग होने वाली भाषा, जैसे संस्कृत, अरबी, पाली, आदि, न केवल धार्मिक ग्रंथों के लेखन के लिए उपयोगी होती है, बल्कि वह आस्थाओं, पूजा पद्धतियों, संस्कारों और धार्मिक अनुभवों को व्यक्त करने का भी माध्यम होती है। इसके अलावा, धर्म की शिक्षा और संवाद को सरल और प्रभावी बनाने के लिए भाषा का सशक्त उपयोग किया जाता है।
इस शोध में यह भी देखा गया है कि कैसे भाषाएं धार्मिक विचारों की समझ और उनके अनुवाद में मदद करती हैं, विशेष रूप से जब विभिन्न संस्कृतियों और भाषाई समूहों के लोग आपस में धार्मिक विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर, हिंदी, उर्दू, तमिल, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद और व्याख्या धर्म के प्रचार और प्रसार में सहायक रही है।