Vol. 25 No. 1-2 (2006): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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रवींद्रनाथ टैगोर के शैक्षिक चिंतन की आधुनिकता

Published 2006-10-31

Keywords

  • शिक्षा,
  • दार्शनिक

How to Cite

कुमार अ. . (2006). रवींद्रनाथ टैगोर के शैक्षिक चिंतन की आधुनिकता. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 25(1-2), 16-24. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/20

Abstract

मानव शुरु से ही चिन्तनशील प्राणी रहा है। ये चिंतन ही दर्शन का मूल है। कोई भी चिन्तन कितना ही प्राचीन क्यों न हो उसकी उपादेयता कभी समाप्त नहीं होती। शिक्षा और दार्शनिक चिंतन में अविछिक संबंध है। दर्शन हमारे जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करता है। शिक्षा उस लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन है। रविन्द्रनाथ टैगोर आधुनिक युग के एक महान् दार्शनिक एवं शिक्षाशास्त्री थे। अपने मौलिक एवं नये विचारों के द्वारा भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपनी भारतीय संस्कृति के आधार पर ये केवल भारतीय शिक्षा की नींव ही नहीं डाली वरन् पाश्चात्य शिक्षा में भी पूर्व एवं पश्चिम के आदर्शों को नये रूप में स्थापित किया। इनके इन्हीं महान् कार्यों के कारण ‘गरूदेव‘ (राष्ट्रपिता ने) की उपाधि से सम्मानित किया गया।