Vol. 34 No. 03 (2014): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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आत्ममुग्धता के समांनातर संवेदनशील पाठ

Published 2024-12-23

Keywords

  • समाजिक दृष्टिकोण,
  • भावना और अनुभव

How to Cite

निरंजन सहाय. (2024). आत्ममुग्धता के समांनातर संवेदनशील पाठ . भारतीय आधुनिक शिक्षा, 34(03), p. 80-84. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/1803

Abstract

ह लेख "आत्ममुग्धता के समानांतर संवेदनशील पाठ" में आत्ममुग्धता और संवेदनशीलता के बीच के संबंधों का विश्लेषण करता है, खासकर साहित्य और मानसिकता के संदर्भ में। आत्ममुग्धता, जिसे अक्सर आत्मकेंद्रितता या आत्म-प्रेम के रूप में समझा जाता है, एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति स्वयं के विचारों, भावनाओं और दृष्टिकोण में पूरी तरह से घिरा रहता है। वहीं, संवेदनशील पाठ वह होते हैं जो व्यक्ति को सामाजिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं, और इसमें विचारशीलता और सहानुभूति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

लेख में यह दिखाया गया है कि कैसे आत्ममुग्धता और संवेदनशीलता के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है। जब व्यक्ति आत्ममुग्धता की ओर बढ़ता है, तो वह अक्सर अपने आसपास की दुनिया और दूसरों के दृष्टिकोण से अंजान हो सकता है। लेकिन, संवेदनशील पाठ उसे दूसरों की स्थिति, उनके अनुभव और भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक और सहानुभूतिपूर्ण बना सकते हैं।