Vol. 34 No. 03 (2014): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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सफरनामा कागज से स्किन तक

Published 2024-12-23

Keywords

  • शरीर पर चित्रण,
  • सांस्कृतिक प्रभाव

How to Cite

शरद सिन्हा, & अलका. (2024). सफरनामा कागज से स्किन तक. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 34(03), p. 72-79. http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/1788

Abstract

यह लेख "सफरनामा: कागज से स्किन तक" एक अनूठे दृष्टिकोण से कागज और त्वचा (स्किन) के बीच के रिश्ते और उनके परस्पर प्रभावों का विश्लेषण करता है। लेख में यह दिखाया गया है कि कागज केवल एक साधन नहीं है, बल्कि यह मनुष्य की सोच, कला, और आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम बन चुका है, जो कभी किताबों में सीमित था, अब यह त्वचा पर भी उतर आया है। टैटू कला, जो कागज पर लिखने और चित्र बनाने की पुरानी परंपरा से प्रेरित है, ने शरीर को एक नया रूप दिया है, जिसमें कागज पर लिखी गई कहानियाँ और चित्र अब त्वचा पर 'लिखी' जाती हैं।

इस अध्ययन में कागज और त्वचा के बीच संबंधों का सांस्कृतिक, शारीरिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया गया है। कागज का उपयोग साहित्य, कला, और शिक्षा में होता आया है, जबकि त्वचा पर उकेरे गए टैटू को एक प्रकार की व्यक्तिगत और सामाजिक पहचान के रूप में देखा जाता है। इस लेख में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे कागज से शुरू होने वाली कला और विचारधाराएँ अब शरीर पर एक स्थायी रूप से अंकित होती हैं।

यह अध्ययन यह भी विचार करता है कि टैटू कला का समाज में बढ़ता हुआ प्रभाव, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के अलावा, संस्कृति, पहचान, और समाजिक मान्यताओं को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।