Vol. 7 No. 2 (2019): Voices of Teachers and Teacher Educators
Articles

सीखने के प्रतिफल की प्राप्ति: इतिहास के सन्दर्भ में

Published 2019-02-28

Keywords

  • राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,
  • आलोचनात्मक कौशल

How to Cite

Ojha, S. S. . (2019). सीखने के प्रतिफल की प्राप्ति: इतिहास के सन्दर्भ में . Voices of Teachers and Teacher Educators, 7(2), p. 92-99. http://14.139.250.109/index.php/vtte/article/view/789

Abstract

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् ने हाल ही् में 'प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्रतिफल' शीर्षक से एक ऐसा दस्तावेज तैयार किया जिसमें प्रारंभिक स्तर के समस्त पाठ्यचर्या क्षेत्रों के सीखने के प्रतिफलों को उनकी पाठ्यचर्या सम्बन्धी अपेक्षाओ और शिक्षण  शास्त्रीय प्रक्रियाओ के साथ प्रस्तुत  किया गया है। इस दस्तावेज का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों में सीखने की गुणवत्ता को बढ़ाना व शिक्षकों को इस योग्य बनाना है कि शिक्षक बिना विलम्ब सभी विद्यार्थियों के लिए सीखने के कौशलों को अधिक उपयक्तु रूप से सुनिश्चित करते हुए सुधारात्मक कदम उठा सकें । सीखने के ये प्रतिफल न केवल प्रत्येक कक्षा के शिक्षकों को सीखने-सिखाने पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेंगे, बल्कि ये अभिभावक/संरक्षक, समदुाय के सदस्यों और राज्य पदाधिकारियों को पूरे देश के विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता  सुनिच्छित करने में उनकी भमिूका-निर्वाह में सहायक होंगे ताकि विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र से अपेक्षाओ की पूर्ति हो सके । इस लेख में उच्च प्राथमिक स्तर पर सामाजिक विज्ञान विषय के अतंर्गत आने वाले ऐसे ही एक विषय 'इतिहास' से सीखने के एक प्रतिफल को उदाहरण के तौर पर लेते हुए यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि कक्षा में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के दौरान सतत और व्यापक मूल्यांकन का उपयोग करते हुए कैसे बच्चे उन प्रतिफलों की प्राप्ति कर सकते है जो उनसे अपेक्षित हैं।