खंड 42 No. 3 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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हिंदी बाल काव्य का बदलता स्वरूप और बच्चे

टीना कुमारी
शोधार्थी, पी.एच.डी. (द्वितीय वर्ष), शिक्षा विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रकाशित 2025-07-30

संकेत शब्द

  • बाल काव्य,
  • कविता

सार

समयानुरूप बदलते काव्य में बच्चों की आकांक्षाएँ, उनका व्यवहार, स्वभाव बखूबी उभरा है। बच्चों के मस्ती भरे रोचक कारनामों और खयालों से लेकर आधुनिकता के साथ उभरे बच्चे का अकेलापन और दोस्तों का अभाव सब कुछ कविताओं में बिखरा है। बाल काव्य की यात्रा के दौरान प्रवृत्तियाँ एवं मिजाज़ भी बदले हैं। यह लेख हिंदी बाल काव्य के बदलाव को ही करीब से देखता है। काव्य केवल तथ्यों के साथ ही नहीं, कविताओं के बदलते मिजाज़ को उदाहरण सहित समझने की कोशिश करता है। लिखित रूप में पिछले सौ वर्षों के दौर का काव्य मोटे तौर पर कैसा दिखता है और बच्चों से कैसे जुड़ता है, आदि की एक कड़ी देखने को मिलती है।