Published 2025-09-02
Keywords
- पाठ्यचर्या,
- पाठ्यक्रम,
- पाठ्यपुस्तकें
How to Cite
Abstract
मनुष्य की उच्च मानसिक क्रियाएँ साहचर्य क्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं (वायगोत्स्की, 1962)। अतः सीखने का सटीक मंत्र यह है कि हज़ार असफलताओं के बावजूद अगले हर प्रयास के लिए बेझिझक, बिना थके और बिना हारे तैयार रहना। दरअसल शिक्षा में बदलाव की उम्मीदें तब दम तोड़ने लगती हैं, जब बच्चों की भागीदारी को अनदेखा किया जाने लगता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में यह स्पष्ट किया गया है कि बच्चा स्वयं ज्ञान का सृजन करता है। इसका निहितार्थ है कि पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकें, शिक्षक को इस बात के लिए सक्षम बनाएँ कि वे बच्चों की प्रकृति और वातावरण के अनुरूप कक्षायी अनुभव आयोजित करें, ताकि सभी बच्चों को अवसर मिल पाएँ। शिक्षण का वास्तविक उद्देश्य बच्चे के सीखने की सहज इच्छा और युक्तियों को समृद्ध करना होना चाहिए। यह लेख बच्चों की क्षमताओं का विकास करने हेतु प्राथमिक स्तर पर शिक्षागत निवेश के तरीकों को साझा करने का एक प्रयास है।