Vol. 44 No. 2 (2020): प्राथमिक शिक्षक
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संख्या एवं उसके स्थानीयमान की समझ

अश्विनी गर्ग
सह-प्राध्यापक, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, एनसीईआरटी, भोपाल

Published 2025-09-02

Keywords

  • स्थानीयमान

How to Cite

गर्ग अ. (2025). संख्या एवं उसके स्थानीयमान की समझ. प्राथमिक शिक्षक, 44(2), p.40-46. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/4715

Abstract

आज स्थानीयमान हमारे अधिकांश बच्चों के लिए एक कठिन विषय बनकर रह गया है। यदि बच्चों से पूछा जाए कि 3 दहाई और 2 इकाई से बनने वाली संख्या क्या होगी? तो हमारे अधिकांश बच्चे आसानी से बता देते हैं, कि 32। यदि इनका क्रम बदलकर पूछा जाए कि 2 इकाई और 3 दहाई से बनने वाली संख्या क्या होगी? तो अधिकांश बच्चे 23 बताते हैं, जो कि गलत है। अर्थात् यदि स्थानीय मान के (सैकड़े से ईकाई) के क्रम में पूछा जाए तो अधिकांश बच्चे सही उत्तर बताते हैं और यदि इसका क्रम मिश्रित कर दिया जाए तो वे जिस क्रम में संख्या बोली गई है, उसी को स्थानीयमान का क्रम मान कर संख्या बताते है। कई बार बच्चे प्रश्न करते हैं कि 1 से 9 तक की संख्या को एक अंक में तथा संख्या 10 को दो अंकों में क्यों लिखा जाता है? इसी प्रकार 10 से 99 तक की संख्या को दो अंकों में और संख्या 100 को तीन अंकों में क्यों लिखते हैं। इस प्रकार की समस्या का सही समाधान करने की युक्ति हमारे अधिकांश शिक्षकों के पास भी नहीं है। प्रस्तुत लेख के माध्यम से स्थानीयमान पर आधारित प्रत्येक समस्या का समाधन देने का प्रयास किया गया है।