Published 2025-09-02
How to Cite
Abstract
वर्तमान समाज के समक्ष मुख्य समस्याओं में महत्वपूर्ण है शिक्षा जगत की बढ़ती समस्याएँ। चाहे ये समस्याएँ संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास से जुड़ी हों या फिर मशरूम की तरह बढ़ते विद्यालयों की संख्याओं से जुड़ी हों। जहाँ एक ओर चिंता का विषय शिक्षा के स्तर तक था अब वह विद्यालयों के भीतर सुरक्षा तक भी आ पहुँचा है। प्रस्तुत लेख में जे. कृष्णमूर्ति के शिक्षा संबंधी विचारों को व्यक्तिगत विकास से जोड़कर दर्शाया गया है। लेख में वर्तमान शैक्षिक प्रणाली और विद्यालयों पर आलोचनात्मक प्रकाश डाला गया है। जे. कृष्णमूर्ति के शांति, संघर्ष, जीवन, कला और शिक्षा से संबंधित विचारों का अध्ययन इस लेख में प्रस्तुत। है।
"जीवन को समझना स्वयं को समझना है और यही शिक्षा का आरंभ और अंत दोनों है।"
जे. कृष्णमूर्ति