Vol. 43 No. 4 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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मातृभाषा ही प्राथमिक शिक्षा का माध्यम क्यों?

कृष्ण कान्त शर्मा
पूर्व अधिष्ठाता, शिक्षा संकाय, कोटा विश्वविद्यालय एवं प्राचार्य, भगवती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गंगापुर सिटी

Published 2025-09-02

Keywords

  • मातृभाषा,
  • प्रारंभिक शिक्षा

How to Cite

शर्मा क. क. (2025). मातृभाषा ही प्राथमिक शिक्षा का माध्यम क्यों?. प्राथमिक शिक्षक, 43(4), p.17-20. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/4557

Abstract

मातृभाषा सीखने, समझने एवं ज्ञान की प्राप्ति में सरलता व सहजता लाती है। मातृभाषा की ध्वनि मधुर लगती है, इसमें लय होती है बच्चा माँ के गीत (लोरी) के माध्यम से भी मातृभाषा सीखता है। भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है बल्कि यह संस्कृति और जीवन मूल्यों की वाहक भी है। अतः विलुप्त होती संस्कृतियों के संरक्षण के लिए प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। संस्कृति के संरक्षण में भाषा के बाद दसरा स्थान शिक्षा का है। स्वतंत्र भारत में गठित आयोगों ने भी अपनी सिफ़ारिशों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने की सिफ़ारिश की है। दूसरी भाषा के माध्यम से पढ़ाई करने में अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है। विश्वभर में हुए लगभग 150 अध्ययनों (शोध कार्यों) के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने कहा था- "मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना क्योंकि, मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की।" भारत के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों जगदीश चंद्र बसु, श्रीनिवास रामानुजन आदि ने अपनी शिक्षा मातृभाषा में ही प्राप्त की थी। किसी भी विकसित राष्ट्र का उदाहरण ले लें तो पाएँगे कि वे अपनी भाषा में ही प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करते हैं। अनेक शोध के द्वारा यह स्पष्ट हो चुका है कि अपनी मातृभाषा में तीन से चार साल तक प्रारंभिक शिक्षा ले चुका बच्चा दूसरी भाषा भी बेहतर तरीके से सीखता है।