Vol. 40 No. 1 (2016): प्राथमिक शिक्षक
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बाल साहित्य-स्वरूप और शुरुआती दौर का शिक्षण

मीनाक्षी खार
सहायक प्रोफेसर, भाषा शिक्षा विभाग, एन.सी.ई.आर.टी, नई दिल्ली

Published 2025-05-07

How to Cite

खार म. (2025). बाल साहित्य-स्वरूप और शुरुआती दौर का शिक्षण. प्राथमिक शिक्षक, 40(1), प. 65-68. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/4248

Abstract

शुरुआती दौर के स्कूल शिक्षा में बाल साहित्य की अहम भूमिका है। साहित्य हमारी संस्कृति, जीवनशैली और रहस्यों का दर्पण है। यह स्कूल और बच्चों में जीवन की वास्तविकता को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। इसलिए यह ज़रूरी है कि शिक्षकों को उपयुक्त बाल साहित्य की परख हो और कक्षा की गतिविधियों में बाल साहित्य के उपयोग की समझ हो। साहित्य का भाषा शिक्षण से गहरा संबंध है। वास्तव में, भाषा सीखने की शुरुआत साहित्य से रूबरू होने से होती है। कहानियों, कविताओं, खेल गीतों आदि का भाषा सीखने और भाषा पर पकड़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है।