Vol. 38 No. 3 (2014): प्राथमिक शिक्षक
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स्मृतियों के यथार्थपरक आख्यान

Published 2025-03-26

How to Cite

कुमारी श. (2025). स्मृतियों के यथार्थपरक आख्यान. प्राथमिक शिक्षक, 38(3), p.8-18. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/3502

Abstract

जुलाई के दूसरे पखवाड़े की बहुत सी अलसाई सी सुबह थी। हवा न जाने कहां जाकर छिप बैठी थी। हवा की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए मौसम पर अपना एक छत्र राज जमाए उमस बैठी थी। ऐसे उमस भरे दिन में दिल्ली के नगर निगम की पाठशाला में जाना कभी भी नहीं सुहाया। हालांकि पाठशाला में जाना और बच्चों से बतियाना मुझे हमेशा से बहुत ही अच्छा लगता है पर बीते कुछ दिनों से न जाने मन क्यों कतराने लगा है।