खंड 41 No. 4 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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बच्चों के अनुभव और हिन्दी पाठ्यपुस्तकें

अभिलाषा बजाज
असिस्टेंट प्रोफेसर, अदिति महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रकाशित 2025-06-26

संकेत शब्द

  • र्वांगीण विकास,
  • हिन्दी पाठ्यपुस्तकें,
  • विद्यार्थियों में सामाजिक अनुभव

सार

शिक्षा का अत्यंत उद्देश्य मानव का सर्वांगीण विकास है। सर्वांगीण विकास के अंतर्गत व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और आध्यात्मिक विकास समाहित है। शिक्षा, समाज का दायित्व है और साथ ही यह समाज की अपेक्षाएँ और आकांक्षाएँ का परिचायक भी मानी जाती है। शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक समाज अपनी संस्कृति, अपनी धारणाओं और अपनी परंपरा को नई पीढ़ी में हस्तांतरित करने का कार्य करता है। जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया होने के साथ ही शिक्षा का लक्ष्य प्रत्येक व्यक्ति में पूर्णता का विकास करना है, जिसकी सिद्धि की क्षमता उसमें विद्यमान होती है। कहा जा सकता है कि शिक्षा मनुष्य को सांस्कृतिक और संस्कारित मानव में विकसित करने का प्रयास भी है।

प्रस्तुत लेख में विद्यार्थियों में सामाजिक अनुभवों के आधार पर गतिविधियों के माध्यम से उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास की क्रियाओं की चर्चा की गई है। इसके साथ यह भी दर्शाने का प्रयास किया गया है कि हिंदी पाठ्यपुस्तकें किस प्रकार विद्यार्थियों में सामाजिक अनुभवों को विकसित करती हैं।