खंड 40 No. 3 (2016): प्राथमिक शिक्षक
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ज्ञान सृजन के लिए अध्यापन

चित्रा सिंह
प्राध्यापक, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल

प्रकाशित 2025-06-20

संकेत शब्द

  • ज्ञान सृजन,
  • अध्यापन,
  • शिक्षा के केंद्र

सार

आज यह बुनियादी सवाल उठाना ज़रूरी है कि विशाल भारतीय समाज को किस प्रकार की शिक्षा की ज़रूरत है। साथ ही यह भी विचार करना चाहिए कि हमारी शिक्षा संबंधी अवधारणाएँ क्या हैं?

क्या यह शिक्षा ज्ञान और बोधमूलक होगी या केवल सूचना-मूलक और स्मृति-आधारित? क्या शिक्षा का कोई संबंध व्यक्ति या समूह के चरित्र से भी है या यह केवल एक कौशल है? क्या यह शिक्षा मानवता का विकास कर रही है?

यह भी विचार करना चाहिए कि शिक्षा के केंद्र में विद्यार्थी होना चाहिए, न कि केवल व्यवस्थागत सोच। शिक्षा के केंद्र में ऐसे शिक्षक होने चाहिएँ जो अपने विद्यार्थियों के प्रति स्नेहशील हों और शिक्षा के राष्ट्रीय चरित्र के प्रति स्वयं को उत्तरदायी मानते हों।

स्कूलों को शिक्षक और शिक्षार्थियों के आपसी संबंधों का मंच मानते हुए प्रशासनिक बंधनों से मुक्त किया जाना चाहिए।