प्रकाशित 2025-06-20
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सार
विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए शिक्षा का संपूर्ण तंत्र प्रयासरत है। इस हेतु अकादमिक दृष्टि से शैक्षिक तंत्र के अवलोकन, अनसमर्थन एवं सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता है। शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शिक्षक शिक्षा को भी और अधिक सशक्त बनाना आवश्यक है। शिक्षक-प्रशिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये प्रमुख रूप से सेवापूर्व और सेवारत शिक्षक शिक्षा तथा प्रशिक्षण के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उत्तरदायी हैं। एन.सी.ई.आर.टी., एन.सी.टी.ई., एस.सी.ई.आर.टी., सी.टी.ई., आई.ए.एस.ई. आदि संस्थान शिक्षक-प्रशिक्षकों की क्षमता अभिवर्द्धन के लिए उत्तरदायी हैं। शिक्षक-प्रशिक्षकों की क्षमता अभिवर्द्धन हेतु “शिक्षक-प्रशिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा” का निर्धारण किया जाना आवश्यक है, जिससे ये संस्थाएँ इस आलोक में उनकी आवश्यकताओं पर आधारित प्रशिक्षण आवश्यकताओं का विश्लेषण (Training Need Analysis - TNA) कर सकें और क्षमता अभिवर्द्धन का कार्य प्रभावी रूप से संपन्न कर सकें।
इस क्रियाविधि (Mechanism) को और अधिक संस्थागत, सुदृढ़ तथा विस्तारित करने की आवश्यकता है। शिक्षक-प्रशिक्षकों की क्षमता अभिवर्द्धन हेतु टी.एन.ए. (TNA) तथा शोध-अध्ययन आधारित रिफ्रेशर कोर्स, अभिमुखीकरण कोर्स आदि संचालित किए जाएँ और साथ ही उन्हें सकारात्मक पुनर्बलन भी दिया जाए। इससे ये प्रशिक्षक शिक्षक के रूप में विद्यार्थियों के लिए एक प्रभावी संगमकर्ता (Facilitator) की भूमिका निभा सकेंगे और छात्र-केंद्रित शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।