खंड 38 No. 4 (2014): प्राथमिक शिक्षक
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भाषा (हिंदी) की कक्षा में आकलन 

प्रकाशित 2025-03-26

सार

हम सभी भाषा को शब्दों, वाक्यों और ध्वनियों के व्यवस्थित रूप में पहचान के इतने आदी हो गए हैं कि अपने आसपास बिखरी भाषाओं के विविध रूपों को पहचानने और सराहने की ओर जरा भी ध्यान नहीं दे पाते। क्या स्कूल की घंटी या गोलगप्पे वाले का तवा हमें पुकारता नहीं है? किसी अजनबी की आहट से हमारी गली का कुत्ता भौंक - भौंक कर हमें आगाह नहीं करता? फिर किसी परिचित को देखकर हमारे चेहरे की मुस्कान बहुत कुछ ' कह ' नहीं जाती? अंधेरे में सोते हुए पांच साल के बच्चे का अपने पास लेटे संबंधी को छूकर महसूस करना क्या सुनने की कोशिश नहीं है?