सार
कई मौकों पर शिक्षक चर्चा के दौरान बताते हैं कि कक्षा पांचवी के बच्चे भी कहानी- कविता सुनाने, अपनी बात को बोलकर या लिखकर अभिव्यक्त करने, समझकर पढ़ने इत्यादि काम नहीं कर पाते। यह सब बातें सोचने को बाध्य करती है कि भाषा की कक्षा में ऐसा क्या होता है कि हमारे अथक प्रयासों के बावजूद बच्चों की विभिन्न भाषाई क्षमताएं विकसित नहीं हो पाती।
सवाल यह है कि हम इसका कारण बच्चों की सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि को माने अथवा भाषा सीखने सिखाने के तौर तरीकों व उसमें निहित हमारे नजरिया को। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न मौकों तथा कक्षा अवलोकन व प्रशिक्षण के प्रति उनके नजरिया के कई आयाम उभर कर आए। उनमें से कुछ की चर्चा हमने यहां इस लेख में करने की कोशिश की है।