Vol. 41 No. 3 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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लैंगिक समानता की अवधारणा और महिला शिक्षक की भूमिका

चित्रा सिंह
सहायक अध्यापक, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल

Published 2025-06-26

Keywords

  • लैंगिक समानता की अवधारणा,
  • स्त्री-पुरुष के बीच मौजूद असमानता,
  • लैंगिक समानता की रणनीति

How to Cite

सिंह च. (2025). लैंगिक समानता की अवधारणा और महिला शिक्षक की भूमिका. प्राथमिक शिक्षक, 41(3), p.29–37. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4441

Abstract

लैंगिक समानता की अवधारणा समाज में व्याप्त स्त्री-पुरुष के बीच मौजूद असमानता को दूर करने की एक रणनीति है। इसके द्वारा उन ऐतिहासिक और सामाजिक प्रतिरोधों को दूर करने का प्रयास किया जाता है जो कि स्त्री और पुरुष को समान होने से रोकते हैं। इनमें वे सकारात्मक क्रियाएँ भी शामिल हैं जो स्त्री के प्रति एक विशेष व्यवहार को इंगित करती हैं। लैंगिक समानता की रणनीति शिक्षक को ध्यान में रखते हुए तैयार करना दो कारणों से ज़रूरी है: पहला यह एक अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्य है और दूसरा शिक्षक इसमें केंद्रीय भूमिका रखते हैं।

यूनेस्को ने अपने ग्लोबल पोस्ट-2015 के एजुकेशन एजेंडा में इसे प्रमुख स्थान दिया है। स्त्री शिक्षक इस मामले में ज़्यादा कारगर भूमिका निभा सकती हैं, वे इसे ज़्यादा अच्छे से महसूस कर सकती हैं कि लैंगिक असमानता ने किस तरह समाज और उसके विकास को प्रभावित किया है। क्योंकि स्त्री शिक्षक भी कभी न कभी इसका शिकार रही होती हैं।

प्रस्तुत आलेख में इस दिशा में स्त्री शिक्षक की भूमिका और प्रशिक्षण को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।