Published 2017-07-31
Keywords
- सतत एवं समग्र मूल्यांकन,
- शिक्षा की गुणवत्ता,
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम
How to Cite
Abstract
सतत एवं समग्र मूल्यांकन शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में यह अपेक्षा की गई है कि 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त अधिनियम में यह भी उल्लेख है कि सभी विद्यार्थी एक वांछित अधिगम स्तर तक पहुँचें। इस दिशा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने विषयवार एवं कक्षावार "सीखने के प्रतिफल" का निर्माण किया है। यह जानने हेतु कि विभिन्न कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी इन प्रतिफलों को प्राप्त कर रहे हैं या नहीं, सतत एवं समग्र मूल्यांकन एक उपयुक्त विधि है। इस लेख के माध्यम से शिक्षकों के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें सरल भाषा में इस मूल्यांकन की अवधारणा तथा इसके निष्पादन की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया गया है।