Vol. 41 No. 4 (2017): प्राथमिक शिक्षक
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किताब पढ़ने की ललक

रजनी सिंह
शोधार्थी, केंद्रीय शिक्षा संस्थान, शिक्षा विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

Published 2025-06-26

Keywords

  • प्राथमिक शालाओं में शिक्षण,
  • बच्चों के मनोविज्ञान,
  • किताबें पढ़ने की ललक

How to Cite

सिंह र. (2025). किताब पढ़ने की ललक. प्राथमिक शिक्षक, 41(4), p. 32-36. http://14.139.250.109:8090/index.php/pp/article/view/4424

Abstract

प्राथमिक शालाओं में शिक्षण के दौरान अक्सर कई ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, जो बच्चों के मनोविज्ञान और स्कूल की व्यवस्था में विद्यमान स्थितियों के द्वंद्व को आपके सम्मुख उजागर करती हैं। हमारे विद्यालयों में प्रायः नन्हे पाठकों के पढ़ने के लिए बाल साहित्य की उपलब्धता नाममात्र ही होती है। अतः किसी विद्यार्थी द्वारा किताब घर से कुछ रोचक किताबों को चुपके-चुपके ले लेना भी बहुत सामान्य घटना हो सकती है। ऐसी स्थिति में कक्षा में किताब घर का बनना बच्चों के लिए खासे उत्साह की बात हो सकती है। किताब घर बनाने के बाद बच्चों में आए कुछ ऐसे परिवर्तन, जिन्होंने एक शिक्षिका होने के नाते कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया, जो बच्चों के मन में किताबें पढ़ने की ललक और स्वअनुशासन के संबंधों को समझने में सहायक हैं। प्रस्तुत लेख में स्कूल शिक्षण के दौरान सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में होने वाले कुछ अनुभवों के परिणामस्वरूप एक अनुभव प्रस्तुत है, जो बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और अनुशासन के बीच के संबंध को समझने में सहायक रहा।